सरकार और प्रशासन को इन घटनाओं का जवाब देना होगा
विकास थापटा
अमावस्या की वह स्याह रात थी। यह साधारण अमावस्या नहीं थी। दीपावली की रात थी, दीपों से जगमग रात। शिमला शहर में पटाखे भी फोड़े
जा रहे थे। सहसा छह साल का एक बच्चा फूलझड़ियां चलाते हुए यहां के डाउनडेल क्षेत्र से लापता हो जाता है। उसे कौन उठा ले गया। पहली ही दृष्टि में यह तय हो गया कि यह तेंदुआ ही होगा, क्योंकि अगस्त महीने में भी एक तेंदुआ इसी क्षेत्र से कुछ किलोमीटर दूर कनलोग से पांच साल की एक बच्ची को भी उठा ले गया था।
राजधानी से तीन महीने केे अंतराल में यह दूसरी घटना हुई, मगर अभी तक ठीक तरह से यह साबित नहीं हो सका है कि वह शत-प्रतिशत तेंदुआ ही था कि कुछ और। वन्य प्राणी विंग का प्रयास है कि किसी भी तरह से यह तेंदुआ न हो तो ठीकरा उसके ऊपर नहीं फूटेगा, इसलिए इस मामले को दूसरी ओर मोड़ा जाने लगता है कि हो न हो, किसी तांत्रिक ने ही इस बच्चे को उठा दिया हो। दिवाली की रात को तंत्र साधना की रात भी माना जाता है। इससे भ्रम की स्थिति बनती है।

वन्य प्राणी विंग और पुलिस की जांच से कुछ तर्क निकलते हैं कि अगर तेंदुआ ही उसे उठाकर ले गया तो कुछ दूरी पर उस बच्चे की पैंट सलामत अवस्था में क्यों मिलती है, यह भी कि दिवाली की रात को क्या पटाखे के शोर में भी तेंदुआ डरा नहीं और बच्चे का शिकार कर गया। खोजी अभियान में जुटी टीमों ने बच्चे के शव का की कुछ हिस्सा फागली और रामनगर के बीच क्षत-विक्षत हालत में एक नाले के ऊपर बरामद किया। उसके बाद प्रारंभिक साक्ष्यों से यह मान लिया गया है कि बच्चे को तेंदुए ने ही उठाया है।
शिमला शहर की छवि रक्तरंजित कर दी
शिमला शहर में इस तरह से तीन महीने में दो मासूम बच्चों के मारे जाने की घटना सामान्य नहीं है। इससे पूरा सरकारी तंत्र सवालिया निशान मेें आ गया है कि वह मासूमों की सुरक्षा नहीं कर पा रहा है। वह इसलिए भी कि शिमला दुनिया के मानचित्र पर एक बहुत चर्चित पर्यटन नगरी है। इससे शिमला शहर की एक गलत तस्वीर बन रही है। इसके अलावा जिन मासूमों का अभी जीवन ही शुरू नहीं हुआ था, उनकी इसमें क्या गलती थी। सरकार और प्रशासन को इसका जवाब देना होगा।
राज्य मानवाधिकार आयोग ने भी तलब की रिपोर्ट
- बच्चे के इस तरह से उठाए जाने के मामले में राज्य मानवाधिकार आयोग ने भी एक रिपोर्ट तलब की है। एसपी शिमला, डीएफओ वाइल्ड लाइफ और एक अन्य अधिकारी से यह रिपोर्ट एफीडेविट पर तलब की गई है। 22 नवंबर को इस मामले में आयोग के कोर्ट में सुनवाई भी होगी। आयोग के अध्यक्ष पीएस राणा और सदस्य डा. अजय भंडारी ने यह आदेश जारी किए हैं।
डेथ वारंट जारी करने केे लिए भी आयोग को जगाना पड़ा
- मानवाधिकार आयोग ने अगस्त महीने में बच्ची को तेंदुए का शिकार होने के मामले में भी इस बीच कड़े आदेश जारी किए हैं कि कनलोग वाले तेंदुए को आदमखोर घोषित किया जाए। उसका डेथ वारंट जारी कर उसे मारा जाए।
- आयोग ने कहा कि उसकी मानवाधिकार की सुरक्षा की कानूनी बाध्यता है। इसने आसपास के क्षेत्रों में भी तेंदुओं की टैगिंग करने के आदेश जारी किए हैैं। सभी को चिन्हित करने को कहा है। अगर ऐसा किया जाता है यह इस दिशा में भी प्रयास होगा कि कनलोग वाला और डाउनडेल वाला तेंदुआ एक ही है या ये दो हैं।