जज्बा हो तो कोई बाधा नहीं, बरमु (केल्टी) पंचायत के सुदेश बौद्ध ने चलाए कई अभियान
जनसेवा का जुनून हो तो कुछ भी किया जा सकता है। अपने लोगों की सेवा करने का जज्बा सुदेश बौद्ध में इस कदर रहा है कि उन्होंने बीएसएनएल से सहायक महाप्रबंधक (एजीएम) जैसे महत्वपूर्ण पद से वीआरएस ले ली। उनकी शैक्षणिक योग्यता मैकेनिकल इंजीनियरिंग है। आमतौर पर ग्राम पंचायत में उपप्रधान का पद बेमतलब का मान लिया जाता है, मगर उन्होंने कर दिखाया कि उपप्रधान भी बेहतरीन काम कर सकता है। उपप्रधान बनना तो लोगों के बीच और ग्राम पंचायत मुख्यालय में बने रहने का एक बहाना भर है। जनसेवा तो भीतर से आती है। उन्होंने साल भर पहले हुए पंचायत चुनाव में उपप्रधान का इलेक्शन लड़ा और जीत गए। वह आज नई ग्राम पंचायत को नई दिशा देने में जुट गए हैं। कसुम्पटी विधानसभा हलके के तहत आने वाली और ढली से अलग होकर बनी नई पंचायत बरमु (केल्टी) के उपप्रधान सुदेश बौद्ध से शब्दरेखा सपांदक विकास थापटा ने खास बात की। बातचीत के कुछ प्रश्न-उत्तर इस तरह से हैं –
प्रश्न: आपकी नई पंचायत बनी है, इसमें काम की चुनौतियां तो होगी ही?
उत्तर: चूंकि नई पंचायत बनी है, तो चुनौतियां तो हांेगी ही। इसके लिए केलटी में किराये पर एक कमरा लिया हुआ है। ग्राम पंचायत बरमु (केल्टी) में है। पहले इसका एरिया ढली पंचायत में था। नई पंचायत का भी काम चला हुआ है। इसके लिए फोरेस्ट क्लीयरेंस का काम भी चला हुआ है। मदर पंचायत से ही काम चलाने की योजना के पक्ष में वह नहीं हैं।

प्रश्न: कुछ खास काम कर रहे हैं?
उत्तर: हमने स्वच्छता अभियान विशेष रूप से चलाया। ये देशव्यापी है। हमने डोर टू डो गारबेज कलेक्शन किया। इसे इकट्ठा करने के लिए अपनी गाड़ी ली। इसे एमसी के तारा देवी स्थित एक प्लांट पर भेजते हैं। पहले हमारे इलाके का बहुत बुरा हाल था। केलटी एक सेमी अर्बल एरिया है। यहां पर लोग किराये पर रहते हैं तो यहां पर कचरा बहुत रहता है। इसे ठिकाने लगाना का अभियान अच्छा चल रहा है।
प्रश्न: क्या खुले में शौच से पूरी तरह से मुक्त पंचायत है आपकी?
उत्तर: जी, हमारे यहां पर शत-प्रतिशत शौचालय बन चुके हैं।
प्रश्न: मनरेगा के काम की क्या स्थिति है?
उत्तर: मनरेगा के तहत हम व्यक्तिगत और कम्युनिटी, दोनों ही तरह के काम कर रहे हैं। सामुदायिक कार्यों पर ज्यादा ध्यान है। हम सड़कें बना रहे हैं। हमने हनुमान मंदिर से मटैनी गांव की सड़क के लिए मनरेगा में 2 लाख 60 हजार रुपये का काम करवाया है। इस सड़क की सोलिंग, कंक्रीटिंग आदि का काम चल रहा है। ये लगभग पूरा होने वाला है।
जहां डंगे लगवाने हैं, वे भी लगवा रहे हैं। ऐसे कई काम कर रहे हैं। अब तो ग्राम सभाएं भी होंगी, उनमें मंजूरियां होंगी। लोगों को जो व्यक्तिगत लाभ मिलते हैं, उनमें कैटल शेड बना रहे हैं। भूमि सुधार के काम भी कर रहे हैं। रेन हारवेस्टिंग के भी कार्य कर रहे हैं।
प्रश्न: नशामुक्ति के लिए क्या किया?
उत्तर: हमने नशामुक्ति के खिलाफ अभियान चलाया है। कानून-व्यवस्था को दुरुस्त करने की दिशा में प्रयास कर रहे हैं। लड़के चिट्टे-भांग आदि के नशे में न फंसे, इसके लिए हमने विशेष अभियान चलाया है। इसके खिलाफ मुहिम को मैंने एक मिशन की तरह से लिया है। मैंने इस बारे में एसपी मैडम से भी बात की है। पुलिस की भी अब औचक गश्त हो रही है। इसका लाभ हो रहा है।
प्रश्न: आपकी समस्याएं क्या हैं?
उत्तर: मनरेगा आदि योजनाओं या अन्य स्कीमों का लोग लाभ तो ले रहे हैं, मगर इसमें कम्युनिटी स्तर के काम में दिक्कत आ रही है। लोग सामुदायिक कार्यों के लिए आगे नहीं आ पा रहे हैं। ऐसे कार्यों के लिए जमीन की भी दिक्कत आ रही है। इस संबंध में सरकार को आकर्षक योजनाएं लानी होंगी। समस्याओं को दूर करने के प्रयास करने होंगे। सरकार अगर हमें जिम, खेल का मैदान आदि का प्रावधान करने के लिए जमीन दे, तो हम वहां पर युवाओं को भी नशे से दूर कर सकते हैं। उनका ध्यान सकारात्मक दिशा में खींच सकते हैं। उन्हें खेलों की ओर प्रोत्साहित कर सकते हैं। हम लड़कियों को भी समझाते रहते हैं, जिससे कि वे सुरक्षित रहें। उन्हें व्यर्थ यहां-वहां नहीं बैठने देते हैं।
प्रश्न: कोविड वैक्सीनेशन की क्या स्थिति है?
उत्तर: हम दूसरी डोज की भी शत-प्रतिशत वैक्सीनेशन करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। हमने पांच कैंप यहां लगा दिए हैं। यहां मजदूरों का भी शत-प्रतिशत टीकाकरण कर रहे हैं।

प्रश्न: लोगों की समस्याओं से कोविड काल में कैसे रूबरू हुए?
उत्तर: हमने हर वार्ड के व्हाट्सऐप ग्रुप बनाए हैं। इसमें लोगों की जागरूकता के अभियान चलाए जा रहे हैं।