देवता महादेव पुड़ग ने किया डोमश्वर महाराज का स्वागत
विकास थापटा
शब्दरेखा पड़ताल
शिमला शहर से करीब 65 किलोमीटर दूर और तहसील कोटखाई के मुख्यालय से पंद्रह किलोमीटर दूरी पर गिरि नदी के संगम स्थल से ऊपर बसा है एक पहाड़ पर पुड़ग गांव। इस गांव में वीरवार से एक देव उत्सव शुरू हुआ है। इस उत्सव को स्थानीय बोली में जातर या जात कहते हैंै। यहां गुठाण से डोमेश्वर देवता अपने रथ में सवार होकर इस गांव में पधारे हैं। देवता महादेव पुड़ग के कार-कारिदों और स्थानीय जनों द्वारा उनका भव्य स्वागत किया गया और पारंपरिक रीति से पूजा-अर्चना की गई। डोमेश्वर देवता ने लोकधुनों पर यहां देवनृत्य किया।
इसे चोल्टू नृत्य कहते हैं। इसमें देवता के कारिंदे खास तरह का चोल्टू पहनते हैं। वे खास तरह से पगड़ी बांधते हैं और श्वेत चोल्टू पहनते हैं। इस अवसर पर सभी ग्रामवासियों और यहां आए लोगों के लिए भी रात्रि भोज का प्रबंध किया गया। ये प्रबंध स्थानीय देवता महादेव की ओर से किया गया। यहां पर यह जातर समारोह तीन दिन तक चलेगी। यह वीरवार, शुक्रवार और शनिवार को चलेगी। यहां पर गायत्री पाठ का भी आयोजन किया जाएगा।
ठियोग के गुठाण में देवता डोमेश्वर का मूल मंदिर
डोमेश्वर देवता का मूल मंदिर ठियोग तहसील के गुठाण में है। डोमेश्वर देवता जब मनुष्य में थे तो वे बहुत पराक्रमी योद्धा थे। उन्होंने इस क्षेत्र की रक्षा के लिए कई बार पराक्रम का परिचय दिया। इन्हें हाटेश्वरी माता का वरदपुत्र माना जाता हैै। बाद में इनका महाप्रयाण हुआ तो ये देवत्व को प्राप्त हुए। डोमेश्वर देवता जिला शिमला के प्रमुख देवता हैं। इन्हें अधिकांश देवठियों में पुरानी परंपराओं के अनुसार आमंत्रित किया जाता है। मान्यता है कि संतान प्राप्ति, पितृदोष और अन्य समस्याओं का डोमेश्वर देवता निवारण करते हैं।
देवता पुड़गेश्वर नहीं करते पालकी में नृत्य
पुड़ग के देवता महादेव के कारदार भागमल भरोटा का कहना है कि शिवरूप पुड़गेश्वर खुद अन्य देवताओं की तरह नृत्य देवधुनों या लोकधुनों पर नृत्य नहीं करते हैं। यानी इनकी पालकी नहीं नाचती। ये साक्षात महादेव हैं यानी देवाधिदेव हैं। इनका क्षेत्र के सभी देवताओं के साथ मेल होता है।
शिमला के रिज मैदान पर भी आयोजित की जा चुकी डोमेश्वर महाराज की जातर
डोमेश्वर महाराज की जातर शिमला के रिज मैदान पर भी आयोजित की जा चुकी है। यहां पर भी डोमेश्वर देवता गुठाण के रथ का नृत्य हुआ और देवता के कारिंदों ने यहां पर भी चोल्टू नृत्य किया। पर्यटक और अन्य तमाम लोग इस नृत्य के गवाह बने। यह आयोजन करीब दो साल पहले हुआ वक्त हुआ था।
क्योंथल रियासत के शासक के रोग निवारण से भी है जातर उत्सव का संबंध
देवता के कारदार मदनलाल वर्मा का कहना है कि एक समय में क्योंथल रियासत के शासक अस्वस्थ हो गए थे तो डोमेश्वर महाराज ने कहा था कि उन्हें ब्रह्महत्या का दोष लगा है। उनके रोग का निवारण किया तो उसके बाद से तय हुआ कि उनकी पूरी रियासत में जातर उत्सव का आयोजन हुआ। इस रियासत से बाहर भी उनकी जातर लगती है जहां डोमेश्वर महाराज की कृपा से उस क्षेत्र के लोगों का कल्याण हुआ है।